अभी मैंने खुशदीप जी के ब्लॉग देशनामा में जो पढ़ा हैं उसकी एक परती में आपके सामने समर्पित करता हु
इस पर आशा करता हु की आप एक हिन्दुस्तानी होने के नाते गौर जरुर करेंगे
मातृभूमि की सेवा करने वाले सैनिक क्या अलग मिट्टी के बने होते हैं...क्या वो आपके-हमारी तरह इंसान नहीं होते...सरहद पर दुश्मन से मोर्चा लेते हुए शहीद होने वाले रणबांकुरों की रगों में क्या कुछ अलग तरह का लहू दौड़ता है...आज एक पिता की नज़र से बताता हूं आपको ऐसे ही कुछ जांबाज़ों की कहानी...वो अब इस दुनिया में नहीं हैं...लेकिन उनके साथ जो बीती, उसे सुनकर आपका ख़ून भी खौलने लगेगा...
एक पिता ने अपने शहीद बेटे के साथ कुछ और शहीदों के गुनहगारों को सज़ा दिलाने के लिए मुहिम छेड़ी है...ये पिता जानते हैं कि रास्ता बहुत मुश्किल है...लेकिन उन्होंने इस मुहिम को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया है...
यहां मैं बात कर रहा हूं शहीद लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की...4 जाट रेजीमेंट का वो जियाला ऑफिसर जिसने करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ का सबसे पहले पता लगाया था...15 मई 1999 को एलओसी के अंदर भारतीय सीमा में पेट्रोलिंग करते 22 साल के लेफ्टिनेंट कालिया और उनके साथी पांच रणबांकुरों को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों ने बंधक बना लिया...इन छह जांबाज़ों के शहीद होने से पहले पाकिस्तानी कायरों ने तीन हफ्ते तक उन्हें बंधक बना कर रखा...देश के इन सपूतों के साथ किस तरह की दरिंदगी के साथ पेश आया गया ये 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना की ओर से सौंपे गए शवों से ही पता चल सका...
शवों पर जगह-जगह सिगरेट से द़ागे जाने के निशान, कानों में जलती सलाखों से छेद, आंख़े फोड़ कर शरीर से निकाल दी गईं, ज़्यादातर हड़डियों और दांतों को तोड़ दिया गया, उंगलियां काट ली गई और भी न जाने क्या क्या...इस तरह का शारिरिक और मानसिक अत्याचार कि शैतान भी शरमा जाए...22 दिन के पाशविक जुल्म के बाद सभी छह जवानों को गोली मार दी गई...भारतीय सेना के पास सभी छह शहीदों की विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट है...पाकिस्तानी सेना ने सारे अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ये अमानवीय अत्याचार किया...जुल्म की इंतेहा के बावजूद हमारे रणबांकुरों ने दुश्मन के सामने घुटने नहीं टेके...सब कुछ सहने के बावजूद देशभक्ति और बहादुरी की मिसाल कायम की...लेफ्टिनेंट कालिया के साथ शहीद होने वाले पांच सिपाहियों के नाम हैं-
1. सिपाही अर्जुन राम पुत्र श्री चोक्का राम
गांव और पीओ....गुडी
तहसील और जिला नागौर (राजस्थान)
2. सिपाही भंवर लाल बगारिया पति श्रीमती भवरी देवी
गांव...सिवेलारा
तहसील और ज़िला सीकर
राजस्थान
3. सिपाही भीकाराम पति भावरी देवी
गांव पटासार, तहसील पचपत्वा
ज़िला बाड़मेर, राजस्थान
4. सिपाही मूला राम पति श्रीमती रामेश्वरी देवी
गांव कटोरी, तहसील जयाल
ज़िला नागौर, राजस्थान
5. सिपाही नरेश सिंह पति श्रीमति कल्पना देवी
गांव छोटी तल्लाम
जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान हर जवान के लिए फख्र की बात होती है, लेकिन कोई अभिभावक, कोई सेना, कोई देश उस जालिम बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो भारत माता के सच्चे सपूतों के साथ किया गया...अगर हमने युद्धबंदियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार और उनके हक और हकूक के लिए आवाज नहीं उठाई तो हर मां-बाप अपने कलेजे के टुकड़ों को सेना में भेजने से पहले सौ बार सोचने लगेंगे...जो लेफ्टिनेंट कालिया और उनके पांच बहादुर साथियों के साथ हुआ, बुरे से बुरे सपने में भी और किसी के लाल के साथ न हो...
ताज्जुब की बात है ज़रा ज़रा सी बात पर आसमान एक कर देने वाले देश के मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर कानों में तेल डालकर सोए हुए हैं...मैं इस पोस्ट के ज़रिए पूरी ब्लॉगर बिरादरी और देश के नागरिकों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर लेफ्टिनेंट कालिया के पिता का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दें...अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन पर इतना दबाव डाला जाए कि वो पाकिस्तान को ये पता लगाने के लिए मजबूर कर दे कि वो कौन से वर्दीधारी शैतान थे जिन्होंने दरिंदगी की सारी हदें पार कर डालीं...बेनकाब हो जाने के बाद इंसानियत के इन दुश्मनों को ऐसी कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए कि दुनिया में फिर कोई युद्धबंदियों के साथ ऐसा बर्ताव करने की ज़ुर्रत न कर सके...लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पिता डॉ एन के कालिया का पता और फोन नंबर हैं...
डॉ एन के कालिया
सौरभ नगर
पालमपुर- 176061 (हिमाचल प्रदेश)
फोन नंबर +91(01894) 32065
लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पिता डॉ एन के कालिया ने ई-मेल के ज़रिए भी इस आवाज़ को बुलंद करने की मुहिम छेड़ रखी है...मेरे पास भी एक ई-मेल आया है...कल मैं भी जितने लोगों के ई-मेल एड्रैस जानता हूं सब को वो अपने नाम को लिखने के बाद फॉरवर्ड करूंगा...आपको भी बस यही करना है....ज़्यादा से ज़्यादा अपने जानने वालों को वो ईृ-मेल भेजें....
लेफ्टिनेंट सौरभ समेत इन छह रणबांकुरों ने मोर्चे पर अपने प्राणों का बलिदान इसलिए दिया कि हम अपने घरों में चैन से सो सकें...क्या हमारा उनके लिए कोई फ़र्ज नहीं बनता है...आप चाहें तो डॉ एनके कालिया का फोन के ज़रिेए भी इस मुहिम के लिए हौसला बढ़ा सकते हैं....
जय हिंद....
स्लॉग गीत
ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी...
एक पिता ने अपने शहीद बेटे के साथ कुछ और शहीदों के गुनहगारों को सज़ा दिलाने के लिए मुहिम छेड़ी है...ये पिता जानते हैं कि रास्ता बहुत मुश्किल है...लेकिन उन्होंने इस मुहिम को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया है...
लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया अपने माता-पिता के साथ
यहां मैं बात कर रहा हूं शहीद लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की...4 जाट रेजीमेंट का वो जियाला ऑफिसर जिसने करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ का सबसे पहले पता लगाया था...15 मई 1999 को एलओसी के अंदर भारतीय सीमा में पेट्रोलिंग करते 22 साल के लेफ्टिनेंट कालिया और उनके साथी पांच रणबांकुरों को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों ने बंधक बना लिया...इन छह जांबाज़ों के शहीद होने से पहले पाकिस्तानी कायरों ने तीन हफ्ते तक उन्हें बंधक बना कर रखा...देश के इन सपूतों के साथ किस तरह की दरिंदगी के साथ पेश आया गया ये 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना की ओर से सौंपे गए शवों से ही पता चल सका...
शवों पर जगह-जगह सिगरेट से द़ागे जाने के निशान, कानों में जलती सलाखों से छेद, आंख़े फोड़ कर शरीर से निकाल दी गईं, ज़्यादातर हड़डियों और दांतों को तोड़ दिया गया, उंगलियां काट ली गई और भी न जाने क्या क्या...इस तरह का शारिरिक और मानसिक अत्याचार कि शैतान भी शरमा जाए...22 दिन के पाशविक जुल्म के बाद सभी छह जवानों को गोली मार दी गई...भारतीय सेना के पास सभी छह शहीदों की विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट है...पाकिस्तानी सेना ने सारे अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ये अमानवीय अत्याचार किया...जुल्म की इंतेहा के बावजूद हमारे रणबांकुरों ने दुश्मन के सामने घुटने नहीं टेके...सब कुछ सहने के बावजूद देशभक्ति और बहादुरी की मिसाल कायम की...लेफ्टिनेंट कालिया के साथ शहीद होने वाले पांच सिपाहियों के नाम हैं-
1. सिपाही अर्जुन राम पुत्र श्री चोक्का राम
गांव और पीओ....गुडी
तहसील और जिला नागौर (राजस्थान)
2. सिपाही भंवर लाल बगारिया पति श्रीमती भवरी देवी
गांव...सिवेलारा
तहसील और ज़िला सीकर
राजस्थान
3. सिपाही भीकाराम पति भावरी देवी
गांव पटासार, तहसील पचपत्वा
ज़िला बाड़मेर, राजस्थान
4. सिपाही मूला राम पति श्रीमती रामेश्वरी देवी
गांव कटोरी, तहसील जयाल
ज़िला नागौर, राजस्थान
5. सिपाही नरेश सिंह पति श्रीमति कल्पना देवी
गांव छोटी तल्लाम
जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान हर जवान के लिए फख्र की बात होती है, लेकिन कोई अभिभावक, कोई सेना, कोई देश उस जालिम बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो भारत माता के सच्चे सपूतों के साथ किया गया...अगर हमने युद्धबंदियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार और उनके हक और हकूक के लिए आवाज नहीं उठाई तो हर मां-बाप अपने कलेजे के टुकड़ों को सेना में भेजने से पहले सौ बार सोचने लगेंगे...जो लेफ्टिनेंट कालिया और उनके पांच बहादुर साथियों के साथ हुआ, बुरे से बुरे सपने में भी और किसी के लाल के साथ न हो...
ताज्जुब की बात है ज़रा ज़रा सी बात पर आसमान एक कर देने वाले देश के मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर कानों में तेल डालकर सोए हुए हैं...मैं इस पोस्ट के ज़रिए पूरी ब्लॉगर बिरादरी और देश के नागरिकों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर लेफ्टिनेंट कालिया के पिता का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दें...अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन पर इतना दबाव डाला जाए कि वो पाकिस्तान को ये पता लगाने के लिए मजबूर कर दे कि वो कौन से वर्दीधारी शैतान थे जिन्होंने दरिंदगी की सारी हदें पार कर डालीं...बेनकाब हो जाने के बाद इंसानियत के इन दुश्मनों को ऐसी कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए कि दुनिया में फिर कोई युद्धबंदियों के साथ ऐसा बर्ताव करने की ज़ुर्रत न कर सके...लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पिता डॉ एन के कालिया का पता और फोन नंबर हैं...
डॉ एन के कालिया
सौरभ नगर
पालमपुर- 176061 (हिमाचल प्रदेश)
फोन नंबर +91(01894) 32065
लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पिता डॉ एन के कालिया ने ई-मेल के ज़रिए भी इस आवाज़ को बुलंद करने की मुहिम छेड़ रखी है...मेरे पास भी एक ई-मेल आया है...कल मैं भी जितने लोगों के ई-मेल एड्रैस जानता हूं सब को वो अपने नाम को लिखने के बाद फॉरवर्ड करूंगा...आपको भी बस यही करना है....ज़्यादा से ज़्यादा अपने जानने वालों को वो ईृ-मेल भेजें....
लेफ्टिनेंट सौरभ समेत इन छह रणबांकुरों ने मोर्चे पर अपने प्राणों का बलिदान इसलिए दिया कि हम अपने घरों में चैन से सो सकें...क्या हमारा उनके लिए कोई फ़र्ज नहीं बनता है...आप चाहें तो डॉ एनके कालिया का फोन के ज़रिेए भी इस मुहिम के लिए हौसला बढ़ा सकते हैं....
जय हिंद....
स्लॉग गीत
ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी...
ये सब पढ़कर मुझे काफी गुस्सा आया . पाकिस्तानियों को तो छोडो उनका सवभाव ही ऐसा हैं पर अपने नेताओं को भी तो इसके बारे में सोचना चाहिए कुछ या फिर वो बस हमेशा अपने पेट और पैसे के लिए सिर्फ उन मुद्दों पे झगड़ते रहेंगे जिनसे उनका अपना मतलब जुड़ा हुआ हैं.
मुझे गुस्सा आया और मैंने अपनी भडाश निकलने के लिए जो मेरे मन में आया यहाँ लिख दिया.
जब देखता हु ऐसे अत्याचारों को
पर क्या करू बेबस हो जाता हु में जब
देखता हु अपने राजनीती के गद्दारों को
संसद में करते हैं हंगामा पागलो की तरह
और भूल जाते हैं अपने देशप्रेमी बेचारों को
मोन हैं पर नही हैं कायर मेरे देशवासी
चलो बता दे ये सभी देश के सिपेसह्लारो को
या तो करवाओ सम्मान सहीदो का या
अब तुम छोड़ दो राजनीती के गलियारों को "
में इस मुहीम में हमेशा साथ रहूँगा
जब अपने नेता पहले ही घुटने टेक देते हैं तो बताइए हम और आप तो सिर्फ गुस्सा ही कर सकते हैं ना.
सच में गुस्सा बड़ा आता हैं
खून खोल खोल जाता हैं
खून तो शायद जम गया,पर दिल खौल उठा!
जवाब देंहटाएंहाथ भी शिथिल पड़ गए, पर कलम बोल उठा!