गुरुवार, 6 मई 2010
जाने कहा गए वो दिन ...............
1. जब गुल्ली डंडा और कंचे क्रिकेट से ज्यादा लोकप्रिय थे...........
2. जब हमारे आस - पास हमेशा पोसंपा और लुका -छुप्पी खेलने के लिए दोस्त हुआ करते थे .........
3. जब विक्रम और बेताल , चित्रहार और दादा - दादी की कहानिया हमें बहुत प्यारी होती थी ......
4. जब पूरे घर में सिर्फ एक टीवी होता था .............
5. जब बिसलेरी ट्रेन में नही बिकती थी और हम चिंता करते थे की कही पापा पानी की बोत्तल भरने स्टेशन पे ना आ जाए ........................
6. जब होली और दिवाली पे घर में सिर्फ घर के पकवान बनते थे और माताजी हमारी मदद लिया करती थी उनको बनवाने में.......
7. जब पचास पैसे की कीमत कम से कम दस टॉफियों होती थी..........
8. जब हम आपस में कॉमिक्स और स्टंप की अदला बदली करते थे और चाचा चौधरी और बिल्लू हमारे हीरो होते थे ......
9. जब मौसम की पहली बरसात का मतलब सिर्फ पानी में भीगना होता था और साथ में कागज की कश्तिया बनायी जाती थी...
10. जब हम बात बात पे बिना मतलब हँसते रहते थे आज से ज्यादा और आज से ज्यादा खुलकर........
11. जब हम अपना वर्तमान की ज्यादा मौज लेते थे बिना अपने भविष्य की चिंता किये.........
आज भी वो दिन याद आते हैं .....
क्या आपको भी आते हैं
कृपया सांझे करे
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main to bachpan me chalaa gaya tha :)
जवाब देंहटाएंbahut behtar chitra prastut kiya hai :)
thanks for such an innocent post :)
आज भी यहीं है बिचारे. हमें ही पागलों की तरह इधर उधर भागते हुए देख रहे है.
जवाब देंहटाएंसच में आपने इन भूले साथियों(खेल भी साथी ही है ) की फिर याद दिला दी
जियो उस्ताद, क्या यादें ताज़ा कर दी। अब अगले दो तीन घंटे गए पानी में।
जवाब देंहटाएंमदर्स डे के शुभ अवसर पर टाइम मशीन की निशुल्क सवारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
जवाब देंहटाएंhttp://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
आज घूमता फिरता आपके ब्लॉग में पहुँचा। आपने बहुत पीछे पहुँचा दिया।
जवाब देंहटाएंwah ! aanand aa.......gaya .....
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक पोस्ट। समय के साथ जो बीतता जाता है,उनमें से बहुत की कसक हम सब के भीतर रह जाती है। इसलिए,वर्तमान को अच्छी तरह जिया जाए।
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